मंगलवार, 30 मार्च 2010

इंतजार

एक अन्जानी राह के ,
एक अन्जाने मोड़ पर,
वह खड़ी है ,
आँखों में वेगैर किसी भाव
और चेतना लिये ,
उसके लब खामोश पर
आँखों से बहते आँसू
उसके दिल का हाल बयाँ करते है
जैसे उन्हे किसी का इन्तजार है,
पर इस इन्तजार कि कोई सीमा नहीं
क्योकि वह जानती है कि
रीती के द्वार भी बंद है उसके लिये,
और उसकी संवेदनाय मर चुकी है !

प्रतिभा शर्मा