गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

बीहड़


रिश्तों के मायने तलाशते हुए
वह भटक रही है ,
अवसादों के बीहड़ो में
इस उम्मीद में कि
शायद मंजिल को पा ले ,
पर नादान नहीं जानती कि ,
बीहड़ो में रास्ते नहीं मिलते
मिलते है तो सिर्फ,
भटकाव और तुफान
और वह भी एक दिन ,
इन
भूल भुलैया रास्तो और तुफानो
से लडते- लडते ,
इन्ही कि तरह बीहड़ो में
थम जायेगी गुम जायेगी
---- प्रतिभा शर्मा