फुलो से खिलखिलाना सीख लो ,
तारों से टिमटिमाना सीख लो,
पोछ कर आँसू हंसी देते चलो ,
दुसरो के दुःख को लेकर ,
उनको ख़ुशी देते चलो ,
एक अधूरी चाहत बढ़ ही जायेगी
रूठ कर फिर मान जाना सीख लो
जिन्दगी को मान कर एक चुनौती ,
आंधियो में सिर उठाना सीख लो
--- प्रतिभा शर्मा
सोमवार, 3 मई 2010
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