सोमवार, 24 मई 2010

दिल की खामोश तन्हाईयाँ

दिल की खामोश तन्हाईयाँ , तुझको आवाज देती है
कहाँ है तू कि तेरी यादे मुझको तड़पा देती है
मेरे तन्हा दिल में , तुझसे मिलने की आस है
तू ना जाने मेरी दुनिया , तुझ बिन कितनी उदास है
कभी कभी यह जिन्दगी कितनी बड़ी सजा देती है
कहाँ है तू कि तेरी यादे मुझको रुला देती है
मरे दिल की गहराइयों में एक अनसुना सा शोर है
क्यों टूटते है दिल यहाँ , क्यों हर एक के मन में चोर है
गैरो की क्या कहे , जब अपनी परछाइयाँ ही साथ नहीं देती है
कहाँ है तू कि तेरी यादे मुझको तड़पा देती है
--- प्रतिभा शर्मा