"पर" छोटा सा,
हल्का,फूल सा कोमल,
जो मदद करता है पक्षी की ,
आकाश की अनंत
उचाइयों को छूने मे
जहा पर हम भी
पहुच सकते है,पर!
पक्षियों की तरह नहीं?
'पर' कल्पनायो से तो हम
जहाँ के तहां रह जाते है,
और यह नन्हे पंछी,
आकाश की अनंत उचाइयों
में उडते हुए हमे चिड़ाते है,
यही तो अंतर है
इस "पर" और
उस "पर" में,
एक "पर" आधार है तो
एक "पर" उचाई.