गुरुवार, 24 जून 2010

तमन्ना थी

कुछ इस तरह से वक़्त बदला
जानने वाला हर शख्स बदला
आज दिलो में है फासला ,
गिरते गिरते वह शायद ही संभला ,
तमन्ना थी हर पल साथ की,
पर क्या शिकायत करू उससे,
जब अँधेरा  देख मेरा साया बदला
                --- प्रतिभा शर्मा