अतीत कोई लिखा हुआ कागज तो नहीं
जिसे जला कर राख करदो ,
हाँ यह हो सकता है कि
इसके पन्ने पन्ने जोड़ कर
एक साहित्य का रूप दे डालो
यही तुम्हारा एकमात्र सच्चा मित्र है
जो कभी धोखा नहीं देता
--- प्रतिभा शर्मा
बुधवार, 5 मई 2010
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