मंगलवार, 30 मार्च 2010

इंतजार

एक अन्जानी राह के ,
एक अन्जाने मोड़ पर,
वह खड़ी है ,
आँखों में वेगैर किसी भाव
और चेतना लिये ,
उसके लब खामोश पर
आँखों से बहते आँसू
उसके दिल का हाल बयाँ करते है
जैसे उन्हे किसी का इन्तजार है,
पर इस इन्तजार कि कोई सीमा नहीं
क्योकि वह जानती है कि
रीती के द्वार भी बंद है उसके लिये,
और उसकी संवेदनाय मर चुकी है !

प्रतिभा शर्मा

सोमवार, 29 मार्च 2010

जीवन

जीवन कि परिभाषा अत्यंत दुरूह है,

क्योकि वह पहेली है , भोक्ता वास्तु,

आकाश है , धरा है ,

वायु है , आसमान , और

महाप्रलय का प्रतिपाक्षी या प्रतिगामी ,

जीवन शेष है, और अनेष ,

नश्वर है , और अनश्वर

जीवन को मानदंड समझने वाले मिथ्या भ्रम में जीते है ,

तब जीवन क्या है ?


प्रतिभा शर्मा

मंगलवार, 23 मार्च 2010

रेत

रेत पर बने कुछ अमिट से कुछ थके से कदमो के निशान देख कर मै समझ ही न पाई कि यह शख्स वाकई अपनी मंजिल तक पंहुचा या पहुचते -२ खुद एक रेत का ढेर हो गया

वक़्त को कुछ इस तरह देखो

,कि तुम वक़्त को देखो वक़्त तुम्हे नहीं ,

क्योकि वक़्त वो चीज़ है

जो बे-वक़्त गुजर जायेगा

फिर भी पता नहीं कमबख्त

वक़्त पर आयेगा कि नहीं आएगा