शुक्रवार, 28 मई 2010

मेरी इच्छा

जिन्दगी को जानने की इच्छा है,
कुछ कर गुजरने की इच्छा है ,
इच्छाओं के फैले आकाश में,
उड़ जाने की इच्छा है,
इच्छा है हर सुख भोगने की,
दुःख की धुप में तपने की इच्छा है,और
इच्छाओं के अन्नत सागर में,
डूब जाने की इच्छा है,
इच्छा है अपने अस्तित्व को जानने की,
अपनी संस्क्रती को पहचानने की इच्छा है,और
ना पूरी होने वाली इन इच्छाओं को,
पूरी करने की इच्छा है
-- प्रतिभा शर्मा

9 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

इच्छाओ का होना लाज़िमी है. इच्छाओ से ही हमे ऊर्जा मिलती है
सुन्दर रचना

श्यामल सुमन ने कहा…

शब्द भाव सुन्दर संयोजन चाहत है अविराम।
प्रतिभा की इच्छा हो पूरी यही सुमन मनकाम।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ANAL KUMAR ने कहा…

प्रतिभा जी, अपनी कविताओं में जीवन की अंतर्बाह्य कठिनाइयों को जिस गहरी संवेदना के साथ आपने रेखांकित किया है, उसे देख जान / कर आपकी रचनात्मक सामर्थ्य के प्रति आश्वस्त हुआ जा सकता है | आपकी कविताएँ वस्तुगत अनुभव की कठिन जमीन पर हमें ले आती हैं | यह सपना यथार्थ की स्वीकृति, यथार्थ के अनुभव-साक्षात् और यथार्थ के दंश से ही पैदा हुआ है | एक रचनाकार के रूप में आपकी विशेषता उस अति साधारण तथ्य पर ऊंगली रख देने में है जिसे सब जानते हैं पर न जानने के बराबर | आपको बधाई और आपके लिए शुभकामनाएँ |

मीनाक्षी ने कहा…

इंसान के छोटे से मन की असीम इच्छाओं का दर्शाती हुई प्रभावशाली रचना.

बेनामी ने कहा…

इच्छाएं ही जीवन की प्रेरणा हैं - अच्छे शब्द और भाव
"इच्छाओं के अन्नत सागर में,
डूब जाने की इच्छा है,
इच्छा है अपने अस्तित्व को जानने की,
अपनी संस्क्रती को पहचानने की इच्छा है"

दिलीप ने कहा…

sundar rachna

abhi ने कहा…

awesome :)

gsbisht ने कहा…

Aapka blog aaj pahli bar dekha bahut achchha hai.

Pratibha ने कहा…

bahut bahut shukriya aap sab ka jo aap ne mujhey saraha,aap sab se yahi asha hai ki aagety bhi aap sab se yahi protsahan milta reheyga