यह कविता मेरे छोटे भाई वरुण (विक्की) को समर्पित है जो मात्र 25 साल कि छोटी सी उम्र में हम सब को रोता बिलखता छोड़ गया , मैने इस कविता के माद्यम से उन्ही भावो को लाने कि कोशिश कि है पर अगर मेरे प्रयास में कोई कमी रह गयी हो या मुझ से कोई गलती हो गयी हो मै आप सब से माफ़ी मांगती हु
विक्की भाई हम सब तुझे बहुत प्यार करते थे काश तुम वापस आ जाते ! मै जानती हु कि यह असंभव है पर मन है कि मानता नहीं है ,
आज फिर खोली है मैने ,
अपने दिल की वह पुरानी किताब ,
जिसके पीले पड़े पन्नो पर
सहेजे हुए रखे है मेरे
कुछ अधूरे , कुछ टूटे से
तुम्हारे साथ देखे वो सब ख्वाब
बीते जमाने का हमारा तुम्हारा तराना
ताज़ा है आज भी ज़हन में
मेरे जीवन में तुम्हारा आ जाना
छोटी से उस बात पर ,
बेवजह रूठना हमारा
यही शिकायत है बस तुमसे
तुम्हे भी तो ना आया हमे मनाना
जाना तुम्हारा मुझसे दूर
फिर कभी लौट कर ना आना
आज भी दिल मचल उठता है
तुम्हारे साथ के लिये
जब भी आता है बारिश का
वह मौसम सुहाना
तुम्ही बतादो कैसे बहलाऊ
इस नादान मन को
चलता नहीं है जिस पर