बुधवार, 2 जून 2010

नारी जीवन

जिन्दगी उसके साथ साथ
कुछ इस तरह चलती रही
जैसे कांटो में रह कर भी
मासूम कली खिलती रही
चहरे पर मुस्कान लिये,
पर मन में पीड़ा गहन लिये
रिश्तो की मर्यादा की खातिर
वेदना में जलती रही
-- प्रतिभा शर्मा

5 टिप्‍पणियां:

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

नारी जीवन का यथार्थ चित्रण।
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क्या आप जवान रहना चाहते हैं?
ढ़ाक कहो टेसू कहो या फिर कहो पलाश...

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

nice

दिलीप ने कहा…

a poora jeevan likh diya

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है


कृपया इसे पढ़ कर इस पर भी विचार दें
मदर्स डे पर महिलाओं के लिये टाइम मशीन
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

Shekhar Kumawat ने कहा…

बेहद सुन्दर ....

jabardast he aap ka ye miktak

bahut khub