सोमवार, 3 मई 2010

सीख लो

फुलो से खिलखिलाना सीख लो ,
तारों से टिमटिमाना सीख लो,
पोछ कर आँसू हंसी देते चलो ,
दुसरो के दुःख को लेकर ,
उनको ख़ुशी देते चलो ,
एक अधूरी चाहत बढ़ ही जायेगी
रूठ कर फिर मान जाना सीख लो
जिन्दगी को मान कर एक चुनौती ,
आंधियो में सिर उठाना सीख लो
--- प्रतिभा शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं: