गुरुवार, 6 मई 2010

मेरी व्यथा

तम गहरा , गहरा सूनापन, गहरी बहुत निशा है ,
मेरा गीत किसी परिचय कि भूली हुई कथा है ,
रातो के साथी सपनो ने , छाला नयन के वन में ,
खोया कही नींद का पंछी , खोजू कही गगन में ,
मन अनबन , अनबन मेरा मन , अनबन जीवन प्यासा ,
मेरी प्यास किसी सूरत कि टूटी हुई लता है ,
बीत गया दिन तो बातो में , साँझ गयी पथ चलते ,
अच्छा होता अगर ना ऐसे गिनती में दिन ढलते,
दिन बहका , बहकी यह संध्या , बहके पलिहन सारे ,
मेरी सांस लहर सी भटकी , तट का नहीं पता है ,
रातो कि रागनी अधूरी , बीन चाँद कि रूठी ,
रोटी है चुपचाप चांदनी , कली दाल से टूटी ,
तन टुटा , टुटा मन दर्पण , टूटी आस बेचारी ,

मेरा प्यार किसी जीवन कि उलझन भारी व्यथा है !






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