कुछ इस तरह से वक़्त बदला
जानने वाला हर शख्स बदला
आज दिलो में है फासला ,
आज दिलो में है फासला ,
गिरते गिरते वह शायद ही संभला ,
तमन्ना थी हर पल साथ की,
पर क्या शिकायत करू उससे,
जब अँधेरा देख मेरा साया बदला
--- प्रतिभा शर्मा
4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी रचना
sundar abhivyakti
जज़्बात खूबसूरती से लिखे हैं.....वर्ड वेरिफिकातिओं हटा लें..टिप्पणी देने में सरलता होगी
bahut khub
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