को देख कर मन में
क्यों यह नन्हा पंछी
आकाश कि उन अंतहीन
उचाईयो को छूना चाहता है ?
क्यों वह वहा पहुचना चाहता है ?
जहा पहुचना असंभव है !
जबकि वह जनता है कि
इस नीले सुंदर आकाश कि
कोई सीमा नहीं ! और
उससे लौट कर वापस
इसी धरा पर ही आना है
क्योकि यह कठोर धरा ही
उसके जीवन का
एकमात्र आधार है
--- प्रतिभा शर्मा